वास्तुशास्त्र के हिसाब से भी दर्पण की घर में काफी अहमियत होती है। आईना टूटा-फूटा, नुकीला, चटका हुआ, धुंधला या गंदा न हो और उसमें प्रतिबिंब, लहरदार या टेढ़ा-मेढ़ा न दिखाई दें। हमारी शक्ल को ठीक ढंग से न दिखाने वाला दर्पण हमारे प्रभामंडल को प्रभावित करता है और ऐसे आईने के लंबे समय तक, लगातार इस्तेमाल से नेगेटिव एनर्जी पैदा होती है। सभी के घरों में आईना एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शीशे या आईने का घर पर उचित स्थान पर लगा होना अति आवश्यक है। दर्पण को सदैव पूर्व अथवा उत्तर दिशा की दीवार पर लगाना शुभ फल दायक होता है।
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