स्वास्तिक गणेशजी का ही रूप है, ऐसा गणेश पुराण में कहा गया है इसलिए कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत स्वास्तिक बनाकर की जाती है। इसमें सारे विघ्नों को हरने और अमंगल दूर करने की शक्ति निहित है। जो इसकी प्रतिष्ठा किए बिना मांगलिक कार्य करता है, वह कार्य निर्विघ्न सफल नहीं होता। स्वास्तिक वास्तुदोष निवारण के लिए एक अच्छा उपाय है, क्योंकि इसमें बनी चारों भुजाएं चारों दिशाओं का प्रतीक होती हैं और इसीलिए इस प्रतीक चिन्ह को बनाकर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है। यदि घर में मुख्यद्वार के आस-पास किसी प्रकार का कोई वास्तुदोष है तो वहां की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए वहां स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए।
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