गाड़ी चलाते समय पीछे वाला तेज हॉर्न बजाए जा रहा है और हम इसे पर्सनली ले लेते हैं। मीटिंग में आप बात रख रहे हैं और कोई अपने फोन की ओर देख रहा है, इसे भी आप अपने ऊपर ले लेते हैं। बहरहाल आप ऐसे इकलौते नहीं है, यह मानवीय व्यवहार है। पर सवाल है कि इससे बचा कैसे जाए?
1. अपने अहम को दबाकर रखें
किसी दोस्त को फिल्म देखने बुलाया और उसने काम का कहकर मना कर दिया। उसी रात आप उसे सोशल मीडिया पर डिनर की फोटो में दोस्तों के साथ देखते हैं। ऐसे में आपके अहम को चोट पहुंचती है। आप सामने वाले व्यक्ति को इसका जिम्मेदार ठहराते हैं। हमारा अहम, हमें बार-बार याद दिलाता है कि लोगों को मुझे गंभीरता से लेना चाहिए। अहम, आलोचना नहीं झेलना चाहता और हमेशा सही होना चाहता है।
2. महसूस करें कि यह आपके बारे में नहीं है
बात करने के दौरान कोई फोन देख रहा है, तो आपको अपमान लगता है। पर क्या हो अगर यह आपसे जुड़ा हुआ ना हो! चीजों को सामने वाले व्यक्ति के नजरिए से भी देखें। शायद उसे जरूरी काम हो या आपकी बातचीत अरुचिकर हो। जब आप ध्यान 'मैं' से हटाकर 'हम' पर ले जाएंगे, तो चीजों को पर्सनली लेने से बचा जा सकता है। जब आप सामने वाले का पक्ष जानने की कोशिश करेंगे, तो चीजें बेहतर होंगी।
3. खुद को सहानुभूति दें, खुद से बात करें
किसी से बात करने के दौरान अगर सामने वाले का ध्यान कहीं और है, तो खुद से पूछें कि कहीं आप बेफिजूल की बातें तो नहीं कर रहे। जब आपको अपने इस पहलू का पता चलता है, तो आप असहज हो जाते हैं क्योंकि अपने बारे में गलतियां स्वीकार करना आसान काम नहीं है। उस वक्त खुद को सहानुभूति देने की जरूरत है और दोहराने की जरूरत है कि आप हर जगह सही नहीं हो सकते। किसी से बात करने के दौरान कोई बीच में उठकर चला जाए, तो उससे खुलकर कहने की जरूरत है कि आप इस बारे में क्या सोचते हैं। लोगों से खुलकर बात करके आप इस बात की संभावना को बढ़ाते हैं कि सामने वाला व्यक्ति आपको समझेगा।
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